Kisan Andolan: Disruption in Coal Supply to Thermal Plants, Goods Trains Idle, and Political Wrangling in Punjab
The ongoing farmers' protests in Punjab have led to a halt in the movement of goods trains, causing significant disruptions. The suspension of goods trains has sparked a contentious debate between the ruling Congress party and the opposition BJP, with Chief Minister Captain Amarinder Singh emphasizing the adverse effects on both national security and agricultural activities.
The decision to suspend goods trains in Punjab was prompted by concerns over the safety of railway tracks amidst the farmer agitation. This move has not only impacted the supply of essential goods and industrial operations but has also severely affected the coal supply to Punjab's thermal plants.
Currently, Punjab faces challenges in maintaining its electricity supply, particularly from major thermal plants like the one in Talwandi Sabo, Bathinda, which produces 2,000 MW of electricity, and Nabha in Patiala, generating 1,400 MW. To address the situation, the Punjab State Power Corporation Limited (PSPCL) has requested a loan of Rs 300 crore from banks, highlighting the urgency of the situation.
Amidst this turmoil, political blame games have intensified, with accusations directed at both the central government and the state administration. While the ruling Congress accuses the central government of vindictive actions against Punjab, opposition parties like the Akali Dal hold Captain Amarinder Singh's government responsible for capitulating to the center's demands without adequately representing Punjab's interests.
In essence, the suspension of goods trains in Punjab amid the farmers' protests has not only disrupted essential supply chains but has also escalated political tensions, underscoring the need for a swift resolution to the ongoing impasse.
किसान आंदोलन: थर्मल प्लांटों को कोयला आपूर्ति में व्यवधान, मालगाड़ियां ठप, पंजाब में राजनीतिक खींचतान
पंजाब में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण मालगाड़ियों की आवाजाही रुक गई है, जिससे काफी व्यवधान पैदा हो रहा है। मालगाड़ियों के निलंबन ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी और विपक्षी भाजपा के बीच एक विवादास्पद बहस छेड़ दी है, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा और कृषि गतिविधियों दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पर जोर दिया है।
पंजाब में मालगाड़ियों को निलंबित करने का निर्णय किसान आंदोलन के बीच रेलवे पटरियों की सुरक्षा पर चिंताओं के कारण लिया गया था। इस कदम से न केवल आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और औद्योगिक संचालन पर असर पड़ा है, बल्कि पंजाब के थर्मल प्लांटों को कोयले की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
वर्तमान में, पंजाब को अपनी बिजली आपूर्ति बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से तलवंडी साबो, बठिंडा जैसे प्रमुख ताप संयंत्रों से, जो 2,000 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं, और पटियाला में नाभा, 1,400 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं। स्थिति से निपटने के लिए, पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) ने स्थिति की तात्कालिकता को उजागर करते हुए बैंकों से 300 करोड़ रुपये के ऋण का अनुरोध किया है।
इस उथल-पुथल के बीच, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है, जिसमें केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन दोनों पर आरोप लगाए जा रहे हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस जहां केंद्र सरकार पर पंजाब के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई का आरोप लगाती है, वहीं अकाली दल जैसे विपक्षी दल पंजाब के हितों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व किए बिना केंद्र की मांगों के सामने घुटने टेकने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार को जिम्मेदार मानते हैं।
संक्षेप में, किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच पंजाब में मालगाड़ियों के निलंबन ने न केवल आवश्यक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किया है, बल्कि राजनीतिक तनाव भी बढ़ा दिया है, जो चल रहे गतिरोध के त्वरित समाधान की आवश्यकता को रेखांकित करता है।